भारतीय इतिहास तथा अर्थशास्त्र के अभियार्थियों को, उदारीकरण के बारे जानना अतिआवश्यक है. यह एक ऐसा विषय है जो परीक्षा के साथ- साथ, आये दिन अख़बारों, टीवी न्यूज, या किसी चर्चा के सम्मलित दिखता ही है इसलिए यहां इसको समझेंगे तथा यह भी जानेगे कि उदारीकरण जैसे शव्द की ऊत्पति कैसे हुयी है और इसका अर्थ क्या है?
यहां इससे क्या लाभ हैं और क्या हानि है इन दोनों पर भी चर्चा करेंगे|
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- भारतीय इतिहास में किलों की प्रथम खोज कब हुयी थी पूरी जानकरी देखिये |
उदारीकरण का अर्थ :-
इसका अभिप्राय आर्थिक सुधार की दिशा में उठाया गया एक प्रमुख कदम | मूलतः इसका अर्थ अर्थव्यवस्था में सरकारी हस्तक्षेप को कम कर बाजार प्रणाली पर निर्भरता बढ़ाना है, इसमें ऐसे नियंत्रण में ढील दिया जाता है या कुछ नियमों को हटा लिया जाता है जिससे कि आर्थिक विकास को बढ़ावा मिले|
प्रतिबंध की नीति तथा प्रतिबंधों से स्वतन्त्र नीति :-
- यदि सरकार अपनी नीतियों के माध्यम से आर्थिक क्रियाओं पर प्रतिबंध लगाती है तो उसे हम कह सकते है कि वह प्रतिबंध की नीति है तथा जब कोई प्रतिबंध नहीं लगाती तो उसे स्वतन्त्र व्यापार की नीति कहते है परन्तु अर्थव्यवस्था कभी भी प्रतिबंधों से स्वतन्त्र नहीं होती|
- जब इन प्रतिबंधों में से कुछ को समाप्त कर दिया जाता है अथवा उसमें ढील दिया जाता है तो इसे उदारीकरण की नीति कहा जाता है इसको अंग्रेजी में Policy of Liberalization लिखते है|
इस प्रकार उदारीकरण का मतलब उद्योग को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करना है इसको हम ऐसे समझ सकते है उदारीकरण में किसी भी उद्योग में सरकार का हस्तक्षेप पर कम होता है |
आर्थिक सुधारों के अंतर्गत 1991 में भारतीय सरकार ने उदारीकरण की नीति को अपनाया :-
1-औद्योगिक सुधार के क्षेत्र:-
जब भारत देश में उदारीकरण की नीति को अपनाया गया उस समय यहां की स्थित बहुत खराब दौर से गुजर रही थी इसी को देखते हए, औद्योगिक क्षेत्र में कई सुधार किये गये| यह भी कहा जाता है, कि भारत सरकार के द्वारा यह एक क्रांतिकारी कदम था तथा औद्योगिक क्षेत्र के सुधार अंतर्गत उद्योगों को लाइसेंसों में छूट सीमा शुल्क में कटोती जैसी चीजें सामिल की गयी थी|
2-वित्तीय क्षेत्र में सुधार:-
रिजर्व वैंक के द्वारा बैंकों पर लगाये गये नियंत्रण में ढील दे दी गयी तथा उन्हें साख की स्वतन्त्रता दी गयी| निजी क्षेत्र भारतीय और विदेशी बैंकों की स्थापना की अनुमति देकर बैंकिग के क्षेत्र में बढ़ावा दिया|
3-कर सुधार :-
जब उदारीकरण की नीति को लागू किया गया उसके बाद से यह महसूस किया गया कि आय कर की ऊँची दरें, बचत एवं आय के स्वेक्षापूर्वक प्रकटीकरण में बाधक होती है अतः आय कर की दरों में कमी की गयी इसके साथ- साथ अत्पादक कर के शुल्क में भी कमी की गयी |
4-विदेशी व्यापार में सुधार:-
उद्योगों के विकास के लिए आयत करों में कमी की गयी तथा व्यापार घाटे को कम करने के लिए निर्यात करों का प्रोत्साहन के कई कदम उठाये गये|
उदारीकरण की विशेषताएं :-
1-व्यापारिक प्रतिबंधों का प्रतिबंधन:-
उदारीकरण नीति के तहत व्यापारिक प्रतिबंधों का उन्मूलन किया जाता है इसके तहत ऐसे नियमों और कानूनों को रद्द किया जाता है जो अर्थव्यवस्था की विकास में रूकावट उत्पन्न करते है|
2-निजीकरण को बढ़ावा :-
अर्थव्यवस्था पर सरकारी नियंत्रण को धीरे- धीरे कम किया जाता है तथा निजीकरण प्रक्रिया के द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और संस्थानोंमें सरकारी स्वामित्व को निजी क्षेत्र में परिवर्तन किया जाता है |
3-करों में रियायत :-
व्यापार को बढ़ावा देने के लिए सरकार व्यापर करों में रियायत प्रदान करती है तथा सरकार के द्वारा बाजार में व्यापार के लिए सकारात्मक माहौल बनाया गया|
4-सीमा शुल्क में कटौती :-
अंतराष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए सरकार आयत और निर्यात शुल्क में कटौती करती है, इससे विदेशी व्यापार को बढ़ावा दिया जाता है|
5-मुक्त वाजार व्यवस्था :-
उदारीकरण प्रक्रिया के अंतर्गत मुक्त बाजार व्यवस्था का निर्माण होता है| मुक्त बाजार व्यवस्था इसी व्यवस्था है जिसमें पदार्थों की कीमत पर सरकार का नियंत्रण नहीं रहता है|
उदारीकरण से हानि :-
1-कुटीर और लघु उद्योगों को नुकसान :-
उदारीकरण नीति सबसे बड़ा दुष्प्रभाव छोटे, लघु और कुटीर उद्योगों को होता है तथा इस व्यवस्था से बड़े उद्योग और बहुराष्ट्रीय उद्योगों विकास हुआ है लेकिन जो छोटे और लघु उद्योग है उनकी बुरी तरह नुकसान झेलना पड़ता है|
2-कृषि क्षेत्र के अस्तित्व को खतरा :-
अगर भारत में आर्थिक उदारीकरण नीति की बात करें तो इससे निर्माण और सेवा क्षेत्र का विकास हुआ हहै लेकिन इससे कृषि क्षेत्र की स्थित और भी बिगड़ी है|
3-पर्यावरण को नुकसान :-
आर्थिक उदारीकरण के चलते उद्योगों और कारखानों की संख्या में भारी मात्रा में बढ़ोत्तरी हुयी इसके चलते कारखानों में काम- काज के चलते प्रदूषण भी पहले की तुलना में अधिक तेजी से बढ़ रहा है इसके लिए जमीन की मांग बढ़ी और पेड़ काटने पड़े | उदारीकरण के कारण के चलते हानिकारक उर्वरकों का उपयोग हो रहा है जिससे जमीन और भी प्रदूषित हो रही है|
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FAQ
आर्थिक सुधारों के अंतर्गत 1991 में भारतीय सरकार ने उदारीकरण की नीति को अपनाया इस समय भारत देश वित्तमंत्री डाक्टर मनमोहन सिंह थे |