बालक एवं बाल्यावस्था संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए, या बालक एवं बाल्यावस्था क्या है, इस तरह के लेखन पर लिखने के लिये आ ही जाता है। हाल ही में शिक्षा शस्त्र, प्राचार्य की परीक्षाओं में आये हुए प्रश्न निम्लिखित हैं।
बाल्यावस्था के विकास और अधिकारों की व्याख्या :-
यहाँ बाल्यावस्था को परिभाषित करने वाले सामाजिक आर्थिक कारण निम्न प्रकार के हैं |
- 1- बालक का विकास (child Development) एक बहुआयामी प्रक्रिया है जिसमें जैविक (biological), सामाजिक(social), सांस्कृतिक (cultural) और मनोवैज्ञानिक (psychological) घटक शामिल होते हैं।
- 2- यदि बिहार में बाल्यावस्था को परिभाषित करने वाले सामाजिक -आर्थिक सन्दर्भ अत्यधिक विषम होते हैं।
- 3- बालक के अधिकारों की व्याख्या करते समय अंतराष्ट्रीय फ्रेमवर्क और स्थानीय परिपेक्ष्य का समायोजन चुनौतीपूर्ण है।
- 4- बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में बाल्यावस्था पर ग़रीबी, कृषि पर आधारित अर्थव्यवस्था और संसाधनों की कमी का गहरा प्रभाव पड़ता है।
- 5- बालक के मानसिक विकास को प्रभावित करने वाले कारकों में पोषण, स्वास्थ्य सेवाओं की अनुपालता और असमान शिक्षा शामिल है।
- 6-बाल्यावस्था के दौरान सामाजिक मानदंडो और परम्पराओं का प्रभाव बच्चों की पहचान निर्माण पर पड़ता है।
- 7- बिहार में बालिकाओं के लिये शिक्षा में बधाएं लिंग भेदभाव और सांस्कृतिक अपेक्षाओं से जुडी है।
- 8-बालक के सीखने की प्रक्रिया में बहुभाषिकता और क्षेत्रीय भाषाओं की भूमिका को कम आंका गया है।
शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में बाल्यावस्था की स्थित का वर्णन :-
- 1- बिहार में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच बालक के विकास में संरचनात्मक असमानतायें स्पष्ट हैं।
- 2-बाल श्रम और बाल विवाह जैसी प्रथाएँ बच्चों के अधिकारों और विकास को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करती हैं।
- 3- बालक के व्यक्तित्व विकास में परिवार की भूमिका के साथ-साथ समुदाय का भी योगदान आवश्यक है।
- 5-बिहार में सरकारी प्रणाली में बालक के अनुकूल बुनियादी ढांचे की कमी उनकी सीखने की प्रक्रिया को बाधित करती है।
- 5-बिहार में मुसहर समुदाय (Musahar Community) के 70% बच्चे अभी भी प्राथमिक शिक्षा से वंचित हैं।
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जिले दर जिले / योजना दर योजना :-
- 1- किशनगंज जिले में बालिका शिक्षा दर बिहार के औसत से काफ़ी कम है, जहां 40% स्कूल नहीं जाती।
- 2-मधुबनी और दरभंगा जिलों में बाढ़ के कारण हर साल हजारों बच्चों की पढ़ाई बाधित होती है।
- 3-बिहार सरकार के आकड़ो के अनुसार ” मिड-डे मिला योजना” ने 1.2 करोड़ बच्चों को पोषण प्रदान किया है, लेकिन योजना की गुणवत्ता में सुधार की आवश्यकता है।
- 4-रोहतास जिले में “शिक्षा दीदी” पहल के माध्यम से लड़कियों की ड्रापआउट मदर में 30% की कमी आई है।
- 5-बिहार में आंगनवाड़ी केंद्रों की संख्या बढ़ाने के बाबजूद 40% बच्चे अभी भी पोषण और पूर्व -शिक्षा से वंचित हैं।
सरकार की योजनाएं :-
- 1-गया जिले में बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिये साइकल योजना (Cycle Yojana)ने 60% से अधिक लड़कियों को स्कूल जाने के लिये प्रेरित किया।
- 2-बोधगया के ग्रामीणों क्षेत्रों में बच्चों की मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव, उनके समय विकास को बाधित करता है।
- 3-बिहार में बाल-विवाह के कारण हर साल 10% लड़कियां स्कूल छोड़ देती हैं।
- 4-पटना जिले में स्मार्ट क्लास की पहल ने कक्षा 8 बच्चों की गणित दक्षता को 25% तक बड़ा दिया है।
- 5-सहरसा और सुपौल में जलवायु परिवर्तन से प्रभावित बच्चे, मानसिक तनाव और शिक्षा से वंचित होने की समस्या झेलते हैं।
महत्वपूर्ण जानकारी :-
- 1-बिहार में विशेष आवश्यकता वाले वच्चों के लिये समावेशी शिक्षा नीति अभी भी अपने क्रियान्वयन का इंतजार कर रही है।
- 2-सहरसा और सुपौल में जलवायु परिवर्तन से प्रभावित बच्चे, मानसिक तनाव और शिक्षा से वंचित होने की समस्या झेलते हैं।
- 3-बिहार में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिये समावेशी शिक्षा नीति अभी भी अपने प्रभावी क्रियान्वयन का इंतजार कर रही है।
- 4-मधुबनी की मिथिला पेंटिंग का बच्चों के रचनात्मक विकास में उपयोग बढ़ता जा सकता है।
- 5-बिहार बोर्ड परीक्षा 10 और 12 के छात्रों की पास प्रतिशत दर अभी भी 60% के आस पास है।
- 6-मुजफ्फरपुर जिले में कुपोषण के कारण बच्चों की पढ़ाई पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- 7-पश्चिम चम्पारण में “पढ़ाई घर-घर” योजना के माध्यम से 50,000 बच्चों को स्कूल से जोड़ा गया।
- 8-बिहार में पंचायती राज सस्थानों के माध्यम से बाल संरक्षण के लिये विशेष जागरूकता अभियान चलाये जा रहे हैं।
- 9-सारण जिले में शिक्षकों की कमी के करण प्राथमिक शिक्षा का स्तर प्रभावित हुआ है।
FAQ
बाल श्रम के मामलों में, बिहार राष्ट्रीय स्तर पर दूसरे स्थान पर है।
बिहार के किशनगंज जिले में लड़कियों की शिक्षा दर औसत से काफ़ी कम है, जहां पर 40% से ज्यादा स्कूल नहीं जाती हैं।
बिहार में मुसहर समुदाय (Musahar Community) के 70% बच्चे अभी भी प्राथमिक शिक्षा से वंचित हैं।
हाँ, बिहार में बालिकाओं के लिये शिक्षा में बधाएं लिंग भेदभाव और सांस्कृतिक अपेक्षाओं पर बहूत भेदभाव होते हैं।
बहुआयामी, इसमें जैविक (biological), सामाजिक(social), सांस्कृतिक (cultural) और मनोवैज्ञानिक (psychological) घटक शामिल होते हैं। यह घटक मनोवैज्ञानिकों द्वारा कहे गये हैं।
बिहार के पश्चिम चम्पारण से “पढ़ाई घर-घर” योजना को जाना जाता है जहां इस योजना के माध्यम से 50,000 बच्चों को स्कूल से जोड़ा गया है।
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