बौद्ध कालीन प्रारंभिक शिक्षा प्रणाली कैसे कार्य करती थी? [PDF]
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बौद्ध कालीन प्रारंभिक शिक्षा प्रणाली कैसे कार्य करती थी [Education in Buddhist period]

by Srijanee Mukherjee
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इस लेख में बौद्ध शिक्षा प्रणाली के बारे में जानेगे यदि आप विध्यार्थी है तो इस लेख में समझ सकते है कि बौद्ध के समय किस तरह किस तरह की शिक्षा प्रणाली हुआ करती थी, तथा किस तरह से शिक्षा का आदान-प्रादान हुआ करता था इसके साथ- साथ पबज्जा संस्कार के बारे में भी समझेंगे |

बौद्ध कालीन शिक्षा प्रणाली:-

  1. वर्तमान से लगभग 600 ईसा पूर्व से 1200 ई. तक का समय बौद्ध काल का कहा जाता है इसमें पूर्व वैदिक धर्म का पूर्णता पतन हो चुका था, वैदिक धर्म में कर्मकांडऔर वाह्य आडंबर मात्र शेष रह गये है |
  2. धर्म के प्रचार के लिए  महात्मा बुद्ध के द्वारा जनसाधारण की भाषा का उपयोग किया गया तथा उनके द्वारा ही प्रवर्तित धार्मिक क्रांति का आभाव भारतीय शिक्षा पर पड़ा, परिणाम स्वरूप एक नई शिक्षा प्रणाली का जन्म हुआ जिसे बौद्ध कालीन शिक्षा प्रणाली कहा गया |

बौद्ध कालीन शिक्षा प्रणाली को दो रूप में व्यवस्थित किया गया था जोकि इस प्रकार है –

  1. प्रारंभिक शिक्षा
  2. उच्च शिक्षा

प्रारंभिक शिक्षा :-

  1. प्रारभिक शिक्षा बौद्ध मठों में हुआ करती थी तथा यह केवल वौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए ही नहीं बल्कि जनसाधारण के लिए भी थी |
  2. यह शिक्षा पूर्णता धार्मिक थी कालांतर में  लौकिक शिक्षा की व्यवस्था की गई|
  3. बौद्ध मठों में प्रवेश के लिए तब पबज्जा संस्कार होता था उसके लिए माता-पिता की अनुमति आवश्यक होती थी|
  4. प्रवेश के दौरान बालक श्रामणेर कहलाता था |

बौद्ध कालीन शिक्षा प्रणाली की प्रारंभिक शिक्षा के महत्वपूर्ण बिंदु :-

  1. बौद्ध शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार समाज के सभी वर्गों को था केवल चांडाल ही इस शिक्षा को ग्रहण नहीं कर सकते थे |
  2. प्रारंभिक शिक्षा होने कीआयु समानता 6 वर्ष थी और शिक्षा की अवधि 6 वर्ष ही थी |
  3. प्रारंभिक शिक्षा का पाठ्यक्रम बालकों को प्रथम 6 माह में सिद्धिरस्तु नाम की बाल्पोथी पढ़ाई जाती थी |
  4. बालकों को 6 माह के पश्चात् 5 विदयायों की शिक्षा दी जाती थी| शव्द विद्या, तर्क विद्या, चिकित्सा विद्या,आध्यात्म विद्या और कला शिल्प विद्या |

प्रारंभिक शिक्षण विधि :-

  1. शिक्षण विधि प्रायः मौखिक थी |
  2. शिक्षण, बालक को लकड़ी  की तख्ती पर वर्णमाला के अक्षरों को लिखकर उनका उच्चारण  करता था और अनुसरण करता था |

FAQ

पबज्जा संस्कार क्या होता है ?

पबज्जा संस्कार में मुख्य रूप से एक मठ का प्रमुख भिक्षु बालक से तीन बार यह कहलाता था |
1-     बुद्धम शरणम गच्छामि
2-     धम्मम शरणम गच्छामि
3-     संघम शरणम गच्छामि

पबज्जा संस्कार के 10 आदेश कौन- कौन से है?

1-     जीव की हत्या न करना |
2-     चोरी ना करना |
3-     अशुद्धता ना करना |
4-     असत्य न बोलना |
5-     मादक पदार्थों का सेवन न करना |
6-     वर्जित समय पर भोजन न करना |
7-     नृत्य एवं संगीत से दूर रहना |
8-     श्रंगार की वस्तुओं का प्रयोग न करना |
9-     ऊँचे विस्तारों पर न सोना और सोना चांदी का दान न लेना |

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