भारत के ज्यादातर शहरों में कूड़े के ढेर देखने को मिल ही जाते है, दिल्ली, मुंबई जैसे शहरों में यह आम बात है। कुछ दिनों पहले आवास और शहरी विकास मंत्रालय ने कचरा निस्तारण के संबंध में राज्यवार ब्यौरा जारी किया है, देश में करीब डेढ़ करोड़ टन कचरा निकलता है, जिसमें से मात्र 57% कचरा ऐसा होता है जिसे प्रसंस्क्रत कर उपयोग में लाया जा सकता है।
बाकी का कचरा ऐसा हो जाता है जिस तरह से तमाम शहरों में कचरे के जो पहाड़ देखने को मिलते है वे इसी 57% कचरे का हिस्सा हें। सवाल यह उठता है कि इस कचरे से निजात कैसे मिले?
हालांकि स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत भारत को साफ -सुथरा करने बनाने के मकसद से की गयी थी। लेकिन स्वच्छ भारत अभियान का हश्र भी वही हुआ, जो दूसरी सरकारी योजनाओं और इस तरह के प्रयासों का होता है। सबसे पहले कचरा, रबिश, रेफ्यूज आदि के बारे में समझते हैं ताकि इस टॉपिक को अच्छे से समझ सकें ||
कचरा (Garbage) क्या होता है?
मुख्य रुप से खाद्य अपशिष्ट के लिये प्रयोग किया गया शव्द, लेकिन इसमें अन्य सड़ने योग्य जैविक अपशिष्ट शामिल हो सकता है।
रबिश (Rubbish) का क्या मतलब होता है?
खाद्य कचरे को छोड़कर, दहनशील और गैर-दहनशील ठोस अपशिष्ट के लिये प्रयुक्त होने वाला शब्द है।
रेफ्यूज (Refuse) किसे कहते हैं?
ठोस कचरे के लिये सामूहिक शब्द, जिसमें कचरा और रविश दोनों शामिल होते हैं उसे रेफ्यूज (Refuse) कहा जाता है।
लिटर (Litter) किसे कहते हैं?
सार्वजनिक स्थानों पर, या खुले में इधर-उधर फेका गया छुट्पुट सामान, कागज, फैकी जा चुकी रैपिंग़ सामग्री आदि को लिटर (Litter) कहते हैं।
ठोस अपशिष्ट प्रबंधन क्या है?
यह एक ऐसा शब्द है, जिसका इस्तेमाल ठोस कचरे को इकठ्ठा करने और उसके उपचार की प्रक्रिया को संढ़र्भित करने के लिये किया जाता है। यह उन वस्तुओं के पुनर्चक्रण के लिये समाधान भी प्रदान करता हैं जो कचरा नहीं है।
ठोस अपशिष्ट के तरीके :-
भस्मीकरण (incineration):-इस विधि में उच्च तापमान वाले ठोस कचरे को जलाया जाता हैं जब तक कि वह कचरा राख़ में बदल नहीं जाता है। दाहक इस तरह से बनाये जाते हैं कि ठोस अपशिष्ट के जलने पर वे अत्यधिक मात्रा में ऊष्मा नहीं देते है।
सैनिटरी लैंडफिल (Sanitary Landfill)-: यह वर्तमान में प्रयोग की जाने वाली सवसे लोकप्रिय ठोस अपशिष्ट निपटान विधि है जिसमें कचरा मूल रूप से पतली परतों में फैला हुआ है जिसे मिट्टी या प्लास्टिक फोम के साथ संपीड़ित किया जाता है।
ठोस अपशिष्ट कितने प्रकार के होते हैं?
यह अपशिष्ट प्रबंधन के कुछ प्रकार निम्लिखित हैं :-
- 1- नगरपालिका ठोस अपशिष्ट (MSW)
- 2- हानिकारक अपशिष्ट
- 3- औद्योगिक अपशिष्ट
- 4- कृषि अपशिष्ट
- 5- जैव- चिकित्सा अपशिष्ट
- 6- अपशिष्ट न्यूनतमकरण
नगरपालिका ठोस अपशिष्ट (MSW)-:
इसको अंग्रेजी में municipal Solid Waste कहते हैं, इस शव्द का इस्तेमाल आम तौर पर किसी शहर, कस्बे या गॉव के ज्यादातर गैर-हानिकारक ठोस अपशिष्ट का वर्णन करने के लिये किया जाता है, जिन्हे प्रोसेसिंग़ या सिस्पोजल लाइट पर रूटीन एकत्रण और परिवहन की आवश्यकता होती है।
हानिकारक अपशिष्ट-
यह अपशिष्ट वे होते हैं जो मानव और पर्यावरण को नुकसान पहुंचा सकते हैं जोकि इस प्रकार हैं, विषाक्त अपशिष्ट, प्रतिक्रियाशील अपशिष्ट, संक्षारक अपशिष्ट और संक्रांमक अपशिष्ट आदि।
औद्योगिक अपशिष्ट:-
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, धातुकर्म रासायनिक और दबाई की ड्यूरोज, चीनी मिलें, कागज और लकड़ी उद्योग, उर्वरक और कीटनासक उद्योग प्रमुख है जो प्रसंस्करण, स्करैप सामग्री और एसिड आदि के दौरान विषाष्ट अपशिष्ट जारी करते हैं।
कृषि अपशिष्ट :-
जो भी अपशिष्ट कृषि के द्वारा कचरे में फसलों और पशुओं के अपशिष्ट शामिल है।
जैव- चिकित्सा अपशिष्ट :-
इसका मतलब किसी भी अपशिष्ट से है, जो मानव या जानवरों के निदान, उपचार या टीकाकरण के दौरान या अनुसंधान से संबंधित या जैव उत्पाद या परीक्षण से उत्पन्न होता है उसे जैव- चिकित्सा अपशिष्ट कहते हैं |
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FAQ
भारत सरकार के आवास और शहरी विकास मंत्रालय के अनुसार करीब करीब डेढ़ (1/2) करोड़ टन कूड़ा निकलता है।
इससे सरकार और जनता दोनों की लापरवाही है। शहरों को साफ-सुथरा बनाने के लिये न तो सरकार के पास पर्याप्त साधन और तकनीक है और न ही ऐसे कार्यों को करने की इच्छाशक्ति।
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