ह्वेन त्सांग तथा कश्मीर का इतिहास [7वीं -8वीं सदी], महत्वपूर्ण जानकरी
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ह्वेन त्सांगतथा कश्मीर का इतिहास[7वीं -8वीं सदी], महत्वपूर्ण जानकरी

by Srijanee Mukherjee
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इस लेख में ह्वेन त्सांग ने भारत के बारे में क्या-क्या लिखा? तथा किस- किस राजा के बारे में वर्णन किया? इसके साथ साथ कश्मीर का इतिहास  [7वीं -8वीं सदी] के बारे में चर्चा करेंगे और वहां जो भी वंश हुए (कार्कोट शासक/ वश , उल्पल वंश, पर्वगुप्त वंश और लाहौर वंश) हुए उन पर भी चर्चा करेंगे ताकि जितने भी परीक्षा में प्रश्न पूछे जाएँ उनका अच्छे से उत्तर दिया जा सके |

ह्वेन त्सांग का भारत भ्रमण :-

  1. हर्षवर्धन के समय चीनी यात्री ह्वेन त्सांग  भारत आया और अपना ग्रंथ सी-यू-की नाम से लिखा |
  2. इसको “तीर्थ यात्रियों का राजकुमार” एवं वर्तमान “शाक्यमुनि” कहा जाता है, इसने थानेश्वर के जय गुप्त नामक विद्वान से बौद्ध धर्म की शिक्षा प्राप्त की |
  3. ह्वेन त्सांग  ने लिखा कि भारतीय समाज चार वर्णों में विभाजित था जिसमें ब्राहाण सर्वोपरि थे समाज में सती प्रथा मौजूद थी, विधवा विवाह नहीं होता था, भारतीत श्वेत वस्त्र धारण करते थे पाटिलपुत्र, श्रीवस्र्ती, कपिलवस्तु नगर नष्ट हो गये ते जबकि कन्नौज सम्रद्ध नगर के रूप में मौजूद था (बाणभट्ट ने कन्नौज के लिए महादेव शी शव्द का प्रयोग किया) |
  4. ह्वेन त्सांग  के अनुसार भारतीय अपने दांतों पर कला लाल निशान लगते थे, कानों में कुंडल पहनते थे तथा दंड के लिए दिव्य परीक्षा ली जाती थी, अपराधियों को विशेष अवसर पर क्षमादान दिया जाता था, सड़कें सुरक्षित नहीं थी क्यों की उस समय  ह्वेन त्सांग  स्वयं दो बार लूटे जाने का विवरण देता है |
  5. इन्होने आगे लिए है कि व्यापारियों को चुंगी देनी पड़ती थी, हर्षवर्धन ने चार भागों में आय को बांटकर व्यय किया, सामान्यतः9 से 30 वर्ष की आयु की उम्र तक शिक्षा ली जाती थी किन्तु कुछ लोग सारा जीवन इसमे लगा देते थे, प्रयाग में प्रतिवर्ष डूबकर मरने वाले के लिए लोग जाते थे जो पवित्र स्थान माना जाता था, ह्वेन त्सांग ने सुद्रों को कृषक कहा |

कश्मीर का इतिहास (7वीं-8वीं सदी):-

कार्कोट शासक/ वंश :-

  1. सस्थापक – दुर्लभ वर्धन
  2. इस वंश के शासक ने ललितादित्य ने मार्तंड सूर्य मंदिर का निर्माण किया था |

उल्पल वंश :-

  1. संस्थापक –अवंतिवर्मन
  2. अवंतिवर्मन के मंत्री सूय ने सिचाई संसाधनों का कश्मीर घाटी में विकास किया|
  3. यशस्कर नामक शासक को जनता द्वारा निर्वाचित किया गया |

पर्वगुप्त वंश :-

इस वंश के अंतर्गत “रानी विद्दा” (980 – 1003 ई.) ने शासन किया था , इसने कश्मीरमें प्रशासनिक सुधार करते हुए करों में कमी की, रानी विद्दा लाहौर वंश की पुत्री थी |

लाहौर वंश :-

कश्मीर में हर्ष नामक शासक इस वंश से जुड़ा हुआ था, लाहौर वंश के शासक जन सिंह के कल में कल्हण ने “राजतरंगिणी” नामक ग्रन्थ की रचना की, जिसे प्राचीन भारत की पहली प्रमाणित एतिहासिक पुस्तक माना गया|

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