वर्तमान में बहुत से ऐसे लोग है जिनको (जीवन) सनातन परम्परा के संस्कारों के बारे में जानकरी नहीं है इसलिए यहाँ उन संस्कारों को pdf सहित समझेंगे | श्रग्वेद में बताया गया है कि प्रत्येक मनुष्य (महिला, पुरुष) के जीवन में 16 संस्कार होते है जिसमें माँ के गर्भधारण से लेकर मृत्यु तक है |
16 संस्कार कौन- कौन से हैं :-
- गर्वाधान संस्कार
- पुंसवन संस्कार
- सीमन्तोत्रयन संस्कार
- जातकर्म संस्कार
- नामकरण संस्कार
- निष्क्रमण संस्कार
- अत्रप्राशान संस्कार
- चूड़ाकर्म संस्कार/मुंडन संस्कार
- विद्यारंभ संस्कार
- कर्णवेध संस्कार
- यज्ञोपवीत संस्कार
- वेदारम्भ संस्कार
- केशान्त संस्कार
- समावर्तन संस्कार
- विवाह संस्कार
- अंत्येष्टि संस्कार/ श्राद्ध संस्कार
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गर्वाधान संस्कार:-
जब एक महिला गर्व धारण के बाद माँ बनने के योग्य हो जाती है/ माँ बन जाती है इसे जीवन का पहला संस्कार कहा गया है |
पुंसवन संस्कार:-
यह वह संस्कार है जब किसी के गर्भ में पल रहा बच्चा 3-4 महीने का हो जाता है/ थोडा बहुत इधर-उधर चलने लगता है यह दूसरा संस्कार है|
सीमन्तोत्रयन संस्कार:-
यह वह संस्कार है जब बच्चा 8-9 माह का हो गया है, कभी भी इस दुनियां में आ सकता है यह तीसरा संस्कार है |
जातकर्म संस्कार:-
इस संस्कार में, बच्चा माँ के गर्भ से बहार आ जाता है/ इसी कर्म में निर्धारण हो जाता है कि माँ के गर्भ से पुत्र आया या पुत्री,इसे जातकर्म संस्कार में रखा गया है |
नामकरण संस्कार:-
इस संस्कार में पुत्र/ पुत्री का नामकरण होता है |
श्रग्वेद में, इनका वर्णन है, जोकि जीवन से पहले से लेकर मृत्यु तक 16 संस्कारों का वर्णन किया गया है |
श्रग्वेद में बताया गया है कि, जब कोई बच्चा मां के गर्भ में रहता है उस दौरान तीन (गर्वाधान संस्कार, पुंसवन संस्कार, सीमन्तोत्रयन संस्कार) संस्कार होते है |
गर्वाधान संस्कार
पुंसवन संस्कार