लोकसभा और राज्यसभा में महिला आरक्षण [pdf] MCQ
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लोकसभा और राज्यसभा महिला आरक्षण का इतिहास क्या है?

by Srijanee Mukherjee
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भारतीय इतिहास में महिलाओं की लड़ाई वर्षों से चलती आ रही है, आजादी से पहले की “बाल विवाह”उसके बाद “वोट डालने का अधिकार” यह सब महिलाओं के अधिकार की बात होती है। हाल ही में देखा गया है विधानसभा हो या लोकसभा या फिर पंचायती चुनाव, प्रत्येक जगह महिलाओं की भूमिका के बारे में चर्चा होती है। यहाँ महिला आरक्षण को समझेंगे |

महिला आरक्षण की जरूरत क्यों?

जिस तरह से पुरुषों को अधिकार दिए गये है तो महिलाओं को अधिकार देना भारतीय संविधान में बताया है कुछ कारण निम्नलिखित हैं।

  • 1- देश में आधी आबादी महिलाओं की है।
  • 2- सामाजिक न्याय का सिद्धांत।
  • 3-महिलाओं की संसद में मात्र 13% ही भागीदारी है।
  • 4- संवैधानिक प्रावधान होना चाहिए ताकि महिलाओं को समान हक मिल सके।
  • 5-महिलाओं के आत्म प्रतिनिधित्व और आत्मनिर्णय का अधिकार।
  • 6- पंचायती राज संस्थानों में महिला प्रतिनिधियों ने गावों के समाज के विकास और समग्र कल्याण में सराहनीय कार्य किया है।

महिला आरक्षण की पृष्ठभूमि तथा इतिहास :-

  • 1- सबसे पहले 1974 में, महिलाओं के आरक्षण की मांग उठी थी।
  • 2- 1993 में 73वें और 74वें संविधान संसोधन के द्वारा पंचायतों और नगरपालिकाओं में महिलाओं के लिए एक तिहायी आरक्षण की व्यवस्था की गयी थी।
  • 3- 1996 में पहली बार संसद और विधानसभाओं में (देवगोड़ा सरकार)महिलाओं के आरक्षण हेतु 81वां संविधान संसोधन विधेयक प्रस्तुत किया गया था।
  • 4- इसके बाद पुनः संविधान संसोधन विधेयक 1998, 1999, 2002, और 2003 में लाया गया था (यह अटल विहारी वाजपेयी सरकार में विधेयक लाया गया था)।
  • 5- मई 2008 में महिलाओं के 33% आरक्षण हेतु राजय सभा में 108वां संविधान संसोधन विधेयक पास किया गया था और एक स्थाई समिति (स्टैंडिंग केमेटी) के पास भेजा गया था।
  • 6-इसे वर्ष 2010 में सदन में पारित किया गया तथा अंत में लोक सभा लोकसभा में भेजा गया हालांकि यह बिल 15वीं लोकसभा के साथ लेप्स हो गया।

1952 से वर्तमान तक लोकसभा में महिलाओं की स्थिति :-

  • 1- 1952 में लोकसभा में 22 महिला सांसद थी।
  • 2- 2019 में 78 महिला सांसद बनी।
  • 3- 2024 में 74 महिला सांसद बनी।
  • 4- वैश्विक औसत का मात्र 20%।
  • 5- विधानसभाओं में भी सर्वाधिक छतीसगढ़ में महिलाओं का प्रतिशत 14:44% है।
  • 6- नागालैंड और मिजोरम में एक भी महिला सांसद नहीं।

यदि महिलाओं का विधेयक पारित हुआ तो क्या होगा -:

  • 1- लोकसभा और और सभी राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% सीटें आरक्षित हो जायेगी।
  • 2- लोकसभा में कम से कम 180 महिलाएं होंगी जोकि वर्तमान में मात्र 14% (74) ही है।

वैश्विक स्थिति में महिलाओं की भूमिका :-

इंटर पार्लियामेंट यूनियन के अनुसार, विधायका में महिलाओं की भागीदारी में भारत का विश्व में 150वां स्थान है।

अमेरिका में 23%, ब्रिटेन में 32% तथा फ़्रांस में 39. 7% है।

रवांडा, क्यूबा और बोलीविया जैसे देशों में 50% से अधिक महिला सांसद है।

FAQ

दुनियां के किन देशों की पार्लियामेंट में महिलाओं की स्थिति 50% से ज्यादा है?

वर्तमान में रवांडा, क्यूबा और बोलीविया जैसे छोटे देशों में 50% से अधिक महिला पार्लियामेंट में भागेदारी है।

भारत में सबसे ज्यादा महिला विधायक किस प्रदेश में है?

छतीसगढ़, यहां लगभग 15% महिला विधानसभा में है। 

राज्य सभा में महिलाओं के 33% आरक्षण का बिल कब पेश किया गया था?

मई 2008 में महिलाओं के 33% आरक्षण हेतु बिल पेश किया गया था, 2010 में राज्य सभा में पारित हो गया था लेकिन 15वीं लोक सभा में यह लैप्स हो गया।

महिलाओं को 33% आरक्षण कब दिया गया था?

वर्ष 1993 में 73वें और 74वें संविधान संसोधन हुआ उस दौरान महिलाओं को पंचायतों और नगरपालिकाओं में 33% आरक्षण दिया गया था।

Most Important FAQ

संसद में महिलाओं की भूमिका कितनी है?

हाल में हुए एक सर्वे के अनुसार, लोकसभा और राज्यसभा में क्रमशः महिलाओं की संख्या मात्र 14% और 12% है।

महिला आरक्षण विधेयक संविधान के किस आर्टिकल में लिखा है?

अनुच्छेद 14, सबको बराबर का अधिकार, अनुच्छेद 15(3)महिला और बच्चों के लिए विशेष प्रावधान, अनुच्छेद 39(क) महिला और पुरुष को समान अधिकार, तथा अनुच्छेद 46 भी सामाजिक समता से जुडा हुआ है।

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